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इन्तज़ार करके मिले जब उनसे दिल तभी,
प्यार भरा पैगाम चाहता है |
तभी पाए होठों पर उनके किसका जिक्र,
तो दिल रूठ सा जाता है |
नहीं चाहता कुछ और वो प्यार भरी मुस्कान वो चाहता है,
न मिले अगर उसे ये तो, मनाना इसको बहुत कठिन हो जाता है,
फिर फरियाद के सिवा वो कुछ नहीं करता है |

- संत श्री अल्पा माँ
इन्तज़ार करके मिले जब उनसे दिल तभी,
प्यार भरा पैगाम चाहता है |
तभी पाए होठों पर उनके किसका जिक्र,
तो दिल रूठ सा जाता है |
नहीं चाहता कुछ और वो प्यार भरी मुस्कान वो चाहता है,
न मिले अगर उसे ये तो, मनाना इसको बहुत कठिन हो जाता है,
फिर फरियाद के सिवा वो कुछ नहीं करता है |



- संत श्री अल्पा माँ

 
इन्तज़ार करके मिले जब उनसे दिल तभी,
प्यार भरा पैगाम चाहता है |
तभी पाए होठों पर उनके किसका जिक्र,
तो दिल रूठ सा जाता है |
नहीं चाहता कुछ और वो प्यार भरी मुस्कान वो चाहता है,
न मिले अगर उसे ये तो, मनाना इसको बहुत कठिन हो जाता है,
फिर फरियाद के सिवा वो कुछ नहीं करता है |
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