तू मिला मुकम्मल जहाँ मिला,
अब न चाह कोई बाकी है ।
खिलखिलाता चेहरा तेरा देखके,
खो गए हम अब न कोई हसरत बाकी है ।
जर्रे जर्रे में पाया जहाँ दीदार तेरा,
अब न राह कोई बाकी है ।
- संत श्री अल्पा माँ
तू मिला मुकम्मल जहाँ मिला,
अब न चाह कोई बाकी है ।
खिलखिलाता चेहरा तेरा देखके,
खो गए हम अब न कोई हसरत बाकी है ।
जर्रे जर्रे में पाया जहाँ दीदार तेरा,
अब न राह कोई बाकी है ।
- संत श्री अल्पा माँ