View Hymn (Bhajan)
Hymn No. 2274 | Date: 22-Sep-19971997-09-221997-09-22अगर एक ही अंदाज सबका होता, अगर एक ही मिजाज सबका होताSant Sri Apla Mahttps://www.mydivinelove.org/bhajan/default.aspx?title=agara-eka-hi-andaja-sabaka-hota-agara-eka-hi-mijaja-sabaka-hotaअगर एक ही अंदाज सबका होता, अगर एक ही मिजाज सबका होता,
तो आ रहा है हमें मजा जो आज जिनमें, वे शायद कभी ना आता।
महफिलो में रंगत है जो आज, शायद वह रंगत ही ना होती,
क्या कहता एक-दूसरे से कोई, जहाँ कहने सुनने जैसी कोई अलग बात ही ना होती।
बेनूर लगता यह पूरा जहाँ, जहाँ एकता में अनेकता ना होती।
ना होते सजदे खुदा तेरे दरबार में नए-नए, ना ही सर झुकाने की कोई वजह होती।
वही बेचैनी, वही बेकरारी दिलों की शायद कभी करार ही ना पाती।
फरियादों से गूँजती ये वादियाँ, प्यार-मोहब्बत कि तो कोई गुंजाइश ही ना होती।
ना आता कोई शकस एक-दूसरे के करीब, ना ही ये मेजबानी होती।
खुदा तेरी बंदगी क्या खाक करते लोग, एक-दूसरे के लड़ने में से फुरसद ना होती।
अगर एक ही अंदाज सबका होता, अगर एक ही मिजाज सबका होता