View Hymn (Bhajan)
Hymn No. 3016 | Date: 04-Dec-19981998-12-041998-12-04दिल के कारवाँ की क्या बात करे, कभी रूक-रूककर चलता हैSant Sri Apla Mahttps://www.mydivinelove.org/bhajan/default.aspx?title=dila-ke-karavam-ki-kya-bata-kare-kabhi-rukarukakara-chalata-haiदिल के कारवाँ की क्या बात करे, कभी रूक-रूककर चलता है,
कभी चल-चलकर ये रूक-सा जाता है,
कभी दर्द में भी होता नही दर्द भरा एहसास, कभी बिना दर्द ये रोता है ।
चाहतों को अपनी जानकर जान नही है पाते, के अनजान भी रह नही पाते है,
अपने ही अंदर होता है सबकुछ और बेखबर रह जाते है ।
कभी खमोशी, कभी मायुसी, तो कभी कोई नया भाव इसमें भरा पाते है,
कहना बहुत मुश्किल है, के हककित में हम इसमें क्या पाते है ।
जुनूने-आशिकी कभी जुनूने कुछ, और ना एक समाँ बना पाते है,
अगर झाँके हम इसकी ओर, पल से पहले नजारा बदल जाता है,
के कहना ये मुश्किल-सा है, के दिल का कारवाँ कैसा चलता है ।
दिल के कारवाँ की क्या बात करे, कभी रूक-रूककर चलता है