इनायत तेरी सबको अपने काबिल बना ही देती है,
रहमत तेरी रुह को जगा ही देती है ।
तू ही तू है इस जहाँ में समझ उसकी समझा ही देती है,
मुहोब्बत तेरी हमें अपने पास बुला ही लेती है ।
इबादत तेरी हमें अपने काबिल बना ही देती है,
रूह हमारी, याद करते करते तुझे सुकून पा ही लेती है,
तेरी याद हमें तेरी खुशबू से भर ही देती है ।
- संत श्री अल्पा माँ