View Hymn (Bhajan)
Hymn No. 3028 | Date: 06-Dec-19981998-12-061998-12-06जो चाहा वह पाया है, अब दिल क्यों जलाते होSant Sri Apla Mahttps://www.mydivinelove.org/bhajan/default.aspx?title=jo-chaha-vaha-paya-hai-aba-dila-kyom-jalate-hoजो चाहा वह पाया है, अब दिल क्यों जलाते हो,
देख के औरों को अपनेआप पर अफसोस जाया क्यों करते हो ?
ना आया रास तुम्हें औरों का खुश रहना, खुद क्यों दुःखी होते हो ?
देख के औरों की मधुर मुस्कान, तुम अपना जी क्यों जलाते हो ?
क्या मिलेगा औरों की जिंदगी में झाँकने से, खामखाँ परेशान क्यों होते है ?
पाया तुमने अपनी इच्छाओं का फल, अब खोने से क्यों घबराते हो?
बिना सोचे-समझे किया बहुत कुछ, एहसास इसका पाकर क्यों रोते हो ?
करो अपने दिन याद, के क्यों जलन अपनी बढ़ाते हो ?
चाहा जब भी कुछ तो दिल पर अब अपने जख्म खाते हो ।
माँगे जख्म तुमने अपनी मर्जी से अब भाग्य पर क्यों रोते हो ?
जो चाहा वह पाया है, अब दिल क्यों जलाते हो