View Hymn (Bhajan)
Hymn No. 3021 | Date: 05-Dec-19981998-12-051998-12-05तू ही बढ़ाए व्याकुलता, तू ही चैन पाता हैSant Sri Apla Mahttps://www.mydivinelove.org/bhajan/default.aspx?title=tu-hi-badhaae-vyakulata-tu-hi-chaina-pata-haiतू ही बढ़ाए व्याकुलता, तू ही चैन पाता है,
अपने दीवानों को आखिर क्यों तू सताता है ।
चाहतों की चादर पहले तू ओढ़कर मनाता है,
खिंचकर वह चादर हमें तू बहुत रूलाता है ।
माना ये हमने के हरहाल में तू हमें अपने जैसा बनाना चाहता है,
पर हमें ये लगे के तू हमें बहुत सताता है ।
जताए तू प्यार इतना, के दिल हमारा सह नही पाता है,
क्या कहे कुछ और कहे, के तू ही सबकुछ करता है ।
हरहाल में कैसे आए पास तेरे जल्दी, ये तू भी चाहता है,
उठाये एक कदम हम, तो तू हमें पूरी तरह सँभाल लेता है ।
तू ही बढ़ाए व्याकुलता, तू ही चैन पाता है