View Hymn (Bhajan)
Hymn No. 999 | Date: 03-Oct-19941994-10-031994-10-03ना माननी थी हार मुझे, पर मैंने हार मान लीSant Sri Apla Mahttps://www.mydivinelove.org/bhajan/default.aspx?title=na-manani-thi-hara-muje-para-mainne-hara-mana-liना माननी थी हार मुझे, पर मैंने हार मान ली,
क्या बताऊँ मैं किस-किस के हाथ मजबूर होकर, मैंने ये बात ठान ली।
नही नई, बस वही पुरानी-सी मैंने एक बात दोहरा दी,
ना खेल पाया मैं ना लड़ पाया मैं, मैंने हार मान ली।
जीत की जुदाई तो मैंने बरदाश्त कर ली, ना माननी थी ........
ना जी मैंने अपनी ज़िंदगी, जब मैंने अपनी हार मान ली।
ना मानी हार गैरों से, अपनेआप से ही मैंने हार मान ली,
कभी काम तो कभी क्रोध को, जब मैं जीत ना पाई।
शक्तिहीन होकर गवा दी शक्ति जब मैंने, तब हार मान ली,
ना जीत सकी मैं कुछ भी जब, मैंने तब हार मान ली।
ना माननी थी हार मुझे, पर मैंने हार मान ली