View Hymn (Bhajan)
Hymn No. 905 | Date: 01-Aug-19941994-08-011994-08-01नादान हैं वे बड़े, ना कुछ समझते है, ना कुछ मानते हैंSant Sri Apla Mahttps://www.mydivinelove.org/bhajan/default.aspx?title=nadana-haim-ve-badae-na-kuchha-samajate-hai-na-kuchha-manate-haimनादान हैं वे बड़े, ना कुछ समझते है, ना कुछ मानते हैं,
समझकर फूल, तेज तलवार की धार को अपने सीने से लगाते हैं।
करते हैं ऐसी भूल, की इस जहाँ से चले वे जाते हैं,
करना चाहते थे कुछ, पर तमन्नाओं को लिए वे चले जाते हैं ।
नादानीयत में अपनी, वे सबकुछ गवा बैठ़ते हैं,
फिर भी औरों को समझदारी भरे पैगाम भेजते रहते हैं ।
बीताते हैं समय जानने में सबको, खुद से बेखबर वह रहते हैं,
तस्वीरों पर छुरी चला वे अपनी ताकत के घमंड़ को जगा देते हैं।
बीच मझधार में, वे घर अपना बाँधना चाहते हैं,
औरों की उम्मीदों को दफनाकर, खुद का सजदा वे करना चाहते हैं ।
नादान हैं वे बड़े, ना कुछ समझते है, ना कुछ मानते हैं