View Hymn (Bhajan)
Hymn No. 4893 | Date: 16-Mar-20212021-03-162021-03-16दिनरात का पता ढूँढते है, अपनी पहचान को न ढूंढते हैंSant Sri Apla Mahttps://www.mydivinelove.org/bhajan/default.aspx?title=dinarata-ka-pata-dhundhate-hai-apani-pahachana-ko-na-dhundhate-haimदिनरात का पता ढूँढते है, अपनी पहचान को न ढूंढते हैं,
तुझ से पैदा हुए है, यही भूल जाते हैं, दिन रात …..
तकलीफों पर अपनी रोना हम को है, ना ही तकलीफों से ऊपर उठना चाहते हैं,
शरीर भव में इस तरह से खोए हैं हम, कि शरीर भाव से न निकलना चाहते हैं।
चाहते हैं दिल में एक नहीं, अनेक चाहतो पर चाहना चाहते हैं,
प्रभु भूल के तुझे, बस हर वक्त कुछ और चाहते हैं।
नहीं है पता खुद का, फिरभी खुद को चाहते हैं,
लापरवाही और बेपरवाही खुद ही खुद पर बरतते हैं।
चाहते नहीं है हम अपने आप को, मोह माया को अक्सर चाहते रहते हैं,
फरियादों को जिंदगी कहते है, सरेआम फरियाद करते रहेते हैं।
तुझे प्यार करना आ जाए यही तो हम चाहते हैं,
करें नहीं प्यार हम तुझसे, उसका दुःख दोहराते रहते हैं,
करना प्यार तुझसे ऐसा गहरा कभी न छूटे यही तो हम चाहते हैं ।
दिनरात का पता ढूँढते है, अपनी पहचान को न ढूंढते हैं