View Hymn (Bhajan)
Hymn No. 1795 | Date: 05-Oct-19961996-10-051996-10-05ना जाने है क्या और कौनसी बात, ये समझ नही पाता हूँSant Sri Apla Mahttps://www.mydivinelove.org/bhajan/default.aspx?title=na-jane-hai-kya-aura-kaunasi-bata-ye-samaja-nahi-pata-humना जाने है क्या और कौनसी बात, ये समझ नही पाता हूँ,
पर मैं अक्सर अपने दुःख भरे खयालों के पास ही पहुँच जाता हूँ।
जाना नही चाहता जिस मंजर पर, उसी मंजर पर डेरा लगाकर रह जाता हूँ|
पाना चाहता हूँ मैं आनंद, पर उसके पास नही पहुँच पाता हूँ|
है कमी मुझ में कहाँ और क्या, कुछ ठीक से जान नही पाता हूँ|
अपने कुछ चंद खयालों के आगे, मैं मजबूर हो जाता हूँ|
ऐसे वक्त में, खुदा तुझको भी ठीक से मैं याद नही कर पाता हूँ|
है हालत मेरी ये के पाने चला हूँ कुछ और, और कुछ और ही पाता हूँ|
रहना चाहता हूँ हर वक्त खुशहाल, पर वही में रहे नही पाता हूँ|
सद्भावों को मिटाकर, अभाव में अपने दिल में जगा लेता हूँ|
लगता है ऐसा तभी, के जैसे मैं अपनी मंजिल से धोखा कर रहा हूँ|
ना जाने है क्या और कौनसी बात, ये समझ नही पाता हूँ